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राज्य के सभीआंगनबाड़ी केंद्रों की होगी जांच, गलत जानकारी देने पर सेविकाओं पर गिरेगी गाज।

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पिछले दिनों झारखंड में भी बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी बोकारो के चंद्रपुरा में कई आंगनबाड़ी केंद्रों की किया था,जांच।

संपर्कसूत्र,बिहार

आंगनबाड़ी केंद्रों में गड़बड़ियों की शिकायतों को देखते हुए ICDS निदेशालय ने राज्यभर के सभी केंद्रों की सघन जांच का फैसला लिया है. हर सप्ताह एक जिले के 3-4 केंद्रों का निरीक्षण होगा, जिसमें बच्चों की उपस्थिति, वृद्धि माप और पोषण ट्रैकर की जानकारी की सच्चाई जांची जाएगी।

गलत पाए जाने पर सेविकाओं पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

बिहार में बच्चों के पोषण और देखभाल से जुड़ी योजनाओं की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार अब सभी आंगनबाड़ी केंद्रों की सघन जांच कराने जा रही है।

समेकित बाल विकास सेवाएं (ICDS) निदेशालय ने इस दिशा में तैयारियां शुरू कर दी हैं. हर सप्ताह एक जिले के तीन से चार आंगनबाड़ी केंद्रों का औचक निरीक्षण किया जाएगा, जिसमें बच्चों की उपस्थिति, वृद्धि माप और पोषण ट्रैकर पर दर्ज की गई जानकारी की सच्चाई परखने के साथ-साथ केंद्र की समग्र कार्यशैली की जांच की जाएगी।

निदेशालय को लगातार मिल रही थीं शिकायतें
निदेशालय को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि कई केंद्रों पर बच्चों की संख्या और वृद्धि माप को लेकर फर्जी आंकड़े भेजे जा रहे हैं. पोषण ट्रैकर पर लाभार्थियों की गलत जानकारी और बच्चों का फेस कैप्चर न होना जैसी गड़बड़ियों को अब गंभीरता से लिया जाएगा।

इन आंगनबाड़ी केंद्रों को दी जाएगी प्राथमिकता
ICDS निदेशक अमित पांडेय ने बताया कि जांच के लिए विशेष टीम गठित की गई है और 25 बिंदुओं पर आंगनबाड़ी केंद्रों का मूल्यांकन किया जाएगा. फिलहाल राज्य में 1,15,600 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें प्राथमिकता उन केंद्रों को दी जाएगी जहां से बार-बार शिकायतें आती हैं।

गलत आंकड़े भेजने पर सेविका पर गिरेगी गाज
खासतौर पर उन सेविकाओं और सहायिकाओं पर कार्रवाई की जाएगी, जो पोषण ट्रैकर पर जानबूझकर गलत आंकड़े भेज रही हैं. वर्तमान में केवल 55% लाभार्थियों का ही फेस कैप्चरिंग कार्य पूरा हो पाया है, जबकि यह 100% होना अनिवार्य है।

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